कोरबा /दर्री क्षेत्र में हलषष्ठी (कमरछठ )का पर्व विधि पूर्वक मनाया गया। महिलाओं ने अपने पुत्रों की लंबी आयु की कामना के लिए हलषष्ठी का व्रत रखा, इस दौरान महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत रखी। सीएसईबी मंदिर में महिलाएं एकत्रित हो कर पं.भास्कर जोशी महाराज के द्वारा विधि विधान से पूजा करा कर कथाएं सुनी पं.भास्कर जोशी ने कहा संतान प्राप्ति व उनके दीर्घायु सुखमय जीवन की कामना के लिए माताएं इस व्रत को रखती हैं। बच्चों की लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला छत्तीसगढ़ी संस्कृति यह ऐसा पर्व है जिसे हर जाति और वर्ग के लोग मनाते हैं बताया कि भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को कमरछठ का पर्व मनाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शेषनाग द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतरित हुए थे और उनका मुख्य शस्त्र हल है। उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम हलषष्ठी पड़ा है। इस दिन बिना हल चले धरती का अन्न और सब्जी, भाजी खाने का विशेष महत्व है। इस दिन गाय का दूध व दही का सेवन वर्जित माना गया है।
और सामूहिक रूप से पूजा अर्चना कर संतान सुख प्राप्ति और दीर्घायु के लिए हलपष्ठी कि विशेष पूजा अर्चना किए जाते हैं,